शेयर मार्केट का गणित, जिससे आप करोड़पति बन सकते है (Mathematics of Share Market, Which can Make You a Millionaire)

शेयर मार्केट (Share Market) को अगर सरल भाषा में बोला जाय, तो शेयरो का बाजार होता है। अब आप सोचेंगे की यहाँ शेयर को क्या कहाँ जाता है, तो इसका अर्थ (Meaning) कंपनी मे आपकी कितनी हिस्सेदारी होगी। कंपनी में आपकी हिस्सेदारी कितनी है यह निर्भर करता है की आप उस कंपनी का कितना प्रतिशत शेयर खरीदे हुए है।

कोई भी कंपनी, जो शेयर मार्केट (Share Market) में लिस्टिंग होगी उस कंपनी में आप अपना शेयर खरीद कर, उसमें अपनी हिस्सेदारी रख सकते हैं। इस हिस्सेदारी को तकनीकी रूप से शेयर होल्डिंग भी कहते है।

दरअसल बात यह है, की आप शेयर मार्केट का गणित को अच्छे से नहीं समझते है तो आपको बहुत प्रकार के बुनियादी अंतर पता नहीं चलते है। यहाँ आपको एक शेयर और स्टॉक के बीच बुनियादी अंतर को भी बहुत अच्छे से समझाया गया है।

जहाँ शेयर एक कंपनी के सबसे छोटे हिस्से को दर्शाता है, और वही दूसरी ओर स्टॉक शेयर मार्केट का एक व्यापक रूप हैं जो आपके द्वारा निवेश किये गए एक से अधिक कॉम्पनियों में हिस्सेदारी को दर्शाता है।

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शेयर मार्केट का गणित समझना क्यों जरूरी है (Why is it Important to Understand the Math of Share Market)

आप अगर अपना एक रुपया भी कहीं Invest कर रहे है तो उस कंपनी के बारे में जानना अति: आवश्यक है, जैसा की शेयर मार्केट (Share Market) का गणित समझना है। मान लीजिए आपको कोई काम एक्सेल (Excel) का उपयोग करके करना है। उसके लिए आपको एक एक्सेल की पूरी समझ होनी चाहिए, जिससे आपको उस काम को करने में कोई दिकत नहीं आये।

उसी प्रकार शेयर मार्केट में इन्वेस्ट करने के लिए आपको शेयर मार्केट का गणित समझना जरूरी है, की आखिर यह किस बुनियाद (Basis) पर काम करता है, इसके फंडामेंटल (Fundamental) कैसा है। आखिर क्यों शेयर मार्केट में इतना उतार चढ़ाव देखने को मिलता है। जहाँ पर भी आप पैसा लगाते है उसके गणित को समझना बहुत आवश्यक है।

शेयर मार्केट का गणित (Mathematics of Share Market)

जब किसी कंपनी के शेयर में इन्वेस्ट (Invest) करते है, तो उस कंपनी के फंडामेंटल को Analysis करते है। नीचे दिए अनुच्छेद में उस सभी बातों को बताया गया है।

शेयर मार्केट शब्दावली को समझे

आप शेयर मार्केट में नये हो या फिर पुराने हो इस से कोई फर्क नहीं परता है आप को मार्केट में प्रॉफ़िट या लॉस हो सकता है। क्योंकि शेयर मार्केट का सही ईस्तेमाल करना, उसके Basic शब्दावली को समझना है। जब किसी काम के बारे में आपका बुनियादी जानकारी स्पष्ट रहता है तो आप उसमें महारत हासिल कर सकते है। उसी प्रकार शेयर मार्केट का गणित है, आप जितना Analysis करेंगे, उतना आपका Knowledge और Profit बढ़ सकता है।

जल्दी पैसा कमाने का प्रयास न करे

सच कहाँ जाय तो शेयर मार्केट कोई सट्टा बाजार नहीं है जिससे आप रातों रात अमिर हो जाएंगे। इसमें आपको अपने Knowledge को बढ़ाना होगा, जिससे आप मार्केट के Activity को समझना होगा।

अगर आप इसमें जल्दी पैसा कमाने के लिए पहले ही बिना किसी ज्ञान के Intraday और F&O (Future&Option) में ट्रैडिंग करना शुरू कर देंगे, तो सच मानिए आप अपना मूलधन (Capital) राशि भी खो सकते है। क्योंकि यह मार्केट में Invetment से ज्यादा Knowledge और Analysis जरूरी होता है।

शेयर मार्केट की पूरी जानकारी (Complete Information About Share Market)

शेयर मार्केट की सही जानकारी लेने के लिए, आपको शेयर मार्केट से जुड़े किताबों, Chart Pattern, Company के Fundamental इत्यादि की बुनियादी जानकारी लेना आवश्यक है।

पहले आपको बहुत सी दिकते आ सकती, परंतु आपको अपने धैर्य के साथ धीरे-धीरे मार्केट की जानकारी जुटानी चाहिए, और इस मार्केट में आपको कोई जल्दबाजी करने की आवश्यकता नहीं है।

फंडामेंटल एनालिसिस का गणित (Mathematics of Fundamental Analysis)

किसी कॉम्पनी में निवेश करने से पहले हमें उस कंपनी के Business And Commercial Layout (व्यापार में उपस्थित सभी प्रकार के वित्तीय से जुड़े जानकारी जैसे Capital, Loan इत्यादि की जानकारी) को समझना होगा। इसी में आपको कंपनी का Fundamental Analysis की जानकारी प्राप्त हो सकती है।

शेयर मार्केट में उपस्थित कॉम्पनियों का Analysis करने के लिए कुछ Fundamental Indicators का ध्यान रखना होता है। जैसा की कॉम्पनी के Market Capitalisation, Return on Equity (ROE), Return on Capital Employed (ROCE), Price to Earning Ratio (P/E), कॉम्पनी किस सेक्टर में शामिल (Involve) है।

जब कोई कंपनी की Fundamental सब सही होती है, तब उसकी Growth करने की संभावना और अधिक होती हैं पर कभी-कभी कंपनी का Previous Data भी देखना आवश्यक होता है।

जो लोग लम्बे अवधि के निवेशक होते है वह Fundamental Analysis कर के अपने पैसे को निवेश करते है। शेयर मार्केट मे आपको निवेश लम्बे समय के लिए करना चाहिए जिससे आपको Compounding का लाभ मिल सके।

पोर्टफोलियो विविधता (Portfolio Diversification)

किसी भी फील्ड मे आप जाएं तो पहले आपको Risk Management सीखना होगा, क्योंकि व्यवसाय हो या फिर निवेश जोखिम दोनों मे ही होता है। उसी प्रकार आपको अपने Portfolio को Diversification करना होगा। Diversification का मतलब यह है, की आपने निवेश को अलग-अलग कंपनी और Sector में Invest करना होगा।

इससे यह होगा है की अगर आपको किसी एक सेक्टर से लाभ नहीं हो रहा, तो किसी और सेक्टर से होने वाली लाभ आपका Current Investment को कम नहीं होने देगा। अगर आप सारा पैसा किसी एक ही कंपनी में इन्वेस्ट करते है तो यदि उस कंपनी का शेयर में हानि होता है, तो आपका पोर्ट्फोलीओ लॉस मे जाने लगेगा। इसी कारण से आपको अपना Portfolio Diversification करना जरूरी है।

पावर ऑफ कंपाउंडिंग (Power of Compounding)

आप सभी ने अपने स्कूल में कंपाउंडिंग इंटेरेस्ट के बारे में पढ़ा ही होगा। उसी प्रकार यह भी काम करता है। जैसे-जैसे आप अपने निवेश के अवधी को बढ़ायेंगे, आपका निवेश भी कम्पाउन्ड होता जाएगा। जैसा की नीचे दिए गये उदाहरण से समझ सकते है।

Invest5 Lakhs5 Lakhs5 Lakhs
Rate of interest15%15%15%
Time15 Year20 Year25 Year
Amount40.68 L81.83 L1.64 Cr.
इस चार्ट से आपको पावर ऑफ कंपाउंडिंग का अनुभव हो गया होगा। जिससे आपके मूलधन के व्याज पर भी व्याज मिलता है। यह फार्मूला है जिसे आप कम्पाउन्ड इंटेरेस्ट निकाल सकते है।  A=P(1 + r/100)ᶯ

महत्वपूर्ण Ratio के बारे में जानकारी रखना

एक अच्छा कंपनी का शेयर वहीं होता है जो आपको अच्छा Revenue, Profit, Growth Generate करके दे, आप इस प्रकार के कंपनी के स्टॉक का चयन करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण रैशीओ के बारे मे जानना बहुत जरूरी होता है।

शेयर लेने के पहले और उसके बाद भी उसके रैशीओ को Analysis करते रहना चाहिए। कुछ रैशीओ जो महत्वपूर्ण है जिसे नीचे बातया गया है।

  1. मार्केट कैपिटलाइजेशन (Market Capitalization)
  2. कमाई का मूल्य (Price to Earning Ratio)
  3. प्रति शेयर आय (Earning Per Share Ratio)
  4. उद्योग कमाई मूल्य (Industry Price to Earning Ratio)
  5. अंकित मूल्य (Book Value)
  6. प्राइस टू बुक वैल्यू अनुपात (Price to Book Value Ratio)
  7. इक्विटी पर रिटर्न (Return on Equity)
  8. अंकित मूल्य (Face Value)
  9. ऋण-इक्विटी अनुपात (Debt to Equity Ratio)
  10. लाभांश उपज (Dividend Yield)
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