Mainboard IPO की सम्पूर्ण जानकारी

भारत के स्टॉक मार्केट को दो प्रकार में बाटें, तो पहला होगा Primary Market और दूसरा Secondary Market है, जिसमें Mainboard IPO को Primary Market की श्रेणी में रखा जाता है और दूसरी तरफ पहले से मौजूदा स्टॉक को Secondary Market की श्रेणी में शामिल है। यह दोनों ही मार्केट किसी एक के ऊपर निर्भर नहीं करता है, जहाँ तक Primary Market में सभी तरह के Fresh Issues (Initial Public Offers), Right Issues, Offers For Sales of Equity और Debt से संबंधित कारोबार होता है। वही दूसरी तरफ Secondary Market में लोग अपना पैसा इन्वेस्ट करते है जिससे Primary Market में शामिल होने का आश्वासन देते है।

Primary और Secondary Market में आपको नकदी (Liquidity) देखने मिलती है। नये Mainboard IPO के सभी दस्तावेज आपको NSE और BSE के official Site पर देखने को मिल जायेगाँ। अगर आपको Initial Public Offering (IPO) के Business Model पर विश्वास और भविष्य में ग्रोथ का Perspective लगता है तो आप Mainboard IPO में आवेदन (Apply) कर सकते है।

यह एक सीधा सम्बंध होता है कंपनी और उसके निवेशको के बीच, जैसा की आप कंपनी के IPO में आवेदन करके उसके व्यापार में Shareholder संबंध (Partnership) का निर्माण करते है। IPO लाने वाली कंपनी अपना प्रस्पेक्टिव और व्यापार को SEBI और Exchange को एक दस्तावेज के जारिएँ बताया जाता है। इसमें कंपनी के सभी रिस्क और रिवार्ड शामिल होते है। आपको अपने कैपिटल और श्रेणी के अनुसार ही आवेदन करना उचित होता है।

कंपनी के Mainboard IPO की Eligibility

SEBI के ICDR(Issue of Capital and Disclosure Requirements) Regulations के अनुसार कुछ नियम (Rules) और अधिनियम (Regulation) को Follow करना होता है। यहाँ किसी भी कंपनी के Mainboard IPO की योग्यता को बताया गया है।

SEBI के द्वारा Eligibility Criteria

SEBI ही सभी Exchange को Regulate करती है जहाँ तक NSE और BSE का सवाल है तो वह इसके नियम को नजर अन्दाज नहीं कर सकता है। इसके अनुसार Mainboard IPO लाने के दो रास्ते होते है जिसे नीचे बातया गया है।

Profitability Route:- SEBI इसके द्वारा कंपनी से अपने कुछ शर्तों को मानने का दावा करती है 
  • Mainboard IPO लाने वाली कंपनी के पास पिछले तीन वर्षों में से सभी वर्षों में कम से कम 3 करोड़ की सम्पति मवजूद होनी चाहिए।
  • उस कंपनी के तीन वर्षों का औसत लाभ उसके टैक्स चुकाने से पहले कम से कम 15 करोड़ होना चाहिए।
  • कंपनी के IPO लाने से पहले उसके पास कम से कम 3 करोड़ की सम्पति में से लगभग 50% से अधिक नकद(Cash) या इसके बराबर Cash होना चाहिए।
  • अगर कोई कंपनी अपने नए नाम से IPO लाना चाहती है तो उसके नए नाम पर कम से कम 50% का व्यवसाय होना चाहिए। जैसे की कोई Contract, Bids, Partnership, Ownership, Merger इत्यादि।

QIP Route:- इसके द्वोरा अगर कोई कंपनी IPO लाती है तो उसे एक Parameters को पार करना होता है। इसमें कंपनी के Promoter को सुनिश्चित करना होता है की कंपनी के Mainboard IPO का Qualified Institutional Category के Buyer को 75% का कोटा पूरा नहीं हुआँ, तो कंपनी के IPO की राशि को Refund करना होता है और यह IPO को delay कर दिया जाता है। यह Route SEBI के द्वारा एक अच्छा निर्णय को दर्शाता है।

BSE के द्वारा IPO Eligibility Criteria

जब कोई कंपनी Mainboard IPO को सूचीकरण (Listing) करने के लिए उससे कुछ Document को Exchange में जमा करना होता है। जैसे की कंपनी अपने Financial document (Profit&Loss, Balance Sheet, Cash Flow Statement) को Exchange से Verify करना होता है।

  • IPO Issued के समय उस कंपनी के पास कम से कम 10 करोड़ की पूंजी होनी चाहिए।
  • Mainboard IPO की Issued Size न्यूनतम 10 करोड़ होनी चाहिए।
  • कंपनी का Valuation बाजार में कम से कम 10 करोड़ होना चाहिए।
  • यह कुछ Mainboard IPO के दस्तावेज (DRHP & RHP) और उसे संबंधित जानकारी Exchange के पास जमा करनी होती है।
  • Approval Stage – Gip file upload
  • Issued Opening Stage- Gip file upload
  • Basis of Allotment stage-Gip file upload
  • Listing & Trading Approval Stage -Gip file upload.

NSE के द्वारा IPO Eligibility Criteria

SEBI के पास कंपनी DRHP (Draft Red Herring Proposal) जमा करने के साथ-साथ Exchange NSE को भी कुछ आवश्यक दस्तावेज को एक योजना के साथ जमा करना होता है।

  • NSE के अनुसार कंपनी के Promoter को उस कंपनी के Sector में कम से कम 3 वर्ष का परिपूर्ण ज्ञान होना चाहिए।
  • उस कंपनी को अपने 3 वर्षों का वित्तीय स्थिति जैसे Profit&Loss, Balance Sheet और Cash Flow Statement को जमा करना होता है।
  • उस कंपनी का Paid-up issued लगभग 10 करोड़ से अधिक होना चाहिए।
  • कंपनी का जो मार्केट कैपिटल 25 करोड़ से अधिक होना चाहिए जब वह कंपनी अपना दस्तावेज NSE के पास जमा करती है।
  • यह सभी मापदंडों को परिपूर्ण प्रमाणित करने वाला पुष्टि प्रमाणपत्र भी उस कंपनी के द्वोरा NSE के पास जमा करना होता है।

IPO को बारे में और जानने के लिए IPO होता क्या है (What is IPO) इससे जरूर पढ़े।

Marchent Banker

यह भी एक बैंक होता है जो कंपनी को Banking Finance सेवा प्रदान करती है। अपने ग्राहकों को Financial और Corporate सलाह प्रदान करती है। जिससे उसके ग्राहक (कंपनी) अपने बिजनेस में विकाश (Growth) और Annual Finance को ठीक कर सकें। इसका मुख्य केंद्रित क्षेत्र High Net Worth Individual (HNWI) और मध्यम आकार के बिजनेस पर रहता है।

  • यह बैंक Mainboard IPO लाने वाली कंपनी के लिए उसके द्वोरा Issued Equity के लिए पुँजी जुटाने का कार्य करती है।
  • यह IPO, RIGHT Issued और Offer for Sales of Equity के लिए उसका प्रचार प्रसार और मार्केट में इसके बिजनेस को समझने का कार्य करती है।
  • Marchent Banker पहले उस IPO लाने वाली कंपनी के सभी प्रकार के दस्तावेज का अध्यन करती है उसके बाद ही उसके लिए मार्केट में इसके बिजनेस को Explore करती है।
  • यह Marchent Banker अपने Customer को यह आश्वासन देता है की उसके द्वोरा Issued Capital अगर IPO से नहीं आया तो बचा हुआँ, पैसा Marchent Banker देगा।

ड्यू डिलिजन्स भरना (Due Diligence Filling)

इसके दस्तावेज को भरने से कंपनी के Risk Analysis, Background और Risk Appetite Business Situation का पता चलता है। जिससे निवेशक को कंपनी में निवेश करने से पहले एक भरोसा (Confidence) होता है। Due Diligence के माध्यम से कंपनी अपने सभी प्रकार के Business Strategy , Business Models और Initial Action के बारे में बताती है।

यह प्रक्रिया IPO लिस्टिंग होने वाली कंपनी को 60 दिनों के भीतर करना होता है। इसके द्वारा कंपनी के संदर्भ्य में सभी प्रकार की जानकारी को प्रस्तुत करना होता है।

Data of Organization

इसके अनुसार कंपनी के सभी Partner और Power of Attorneys, Underwriter के जानकारी को Due Diligence में एक फॉर्मेट में दिखाना होता है। उससे संबंधित कुछ आवश्यक दस्तावेज (Documents) को भी पेश करना होता है।

  • कंपनी के सभी Shareholders & Committees list को जमा करना होता है।
  • कंपनी के एक shareholder के पास कितना शेयर है उसका विवरण को बताना होता है।
  • पिछले 3 साल का Annual Report (Profit&Loss, Balance Sheet & Cash Flow Statemets) इत्यादी अपडेट होना चाहिए।
  • कंपनी के Future Business & Strategic Plans को इस Due Diligence में लिखते है।
  • IPO के पैसे को कंपनी कहाँ निवेश करेगी उसका संक्षिप्त विवरण देना होता है।

Licensing & Taxation

इसके द्वारा कंपनी के सभी Licence और Tax Paying से संबंधित दस्तावेज को SEBI और Exchange को दिखाना होता है। ISO Licence, Sefty Licence और Tax संबंधित दस्तावेज होते है।

  • कंपनी के सभी Licence Currently Renew और Update होने चाहिए।
  • कंपनी अपना Annual Tax Return Filling को Upto date करना होता है।
  • कंपनी के पास कोई सरकारी Licence और Permits मिल है की नहीं उसका Certificate होना चाहिए।
  • उस कंपनी में जो Employee Tax Filling होती है उसका ब्लूप्रिन्ट देना होता है।
  • इसके अलावा उस कंपनी के Comprehensive रिपोर्ट की Tax Filling करती है की नहीं उसका भी दस्तावेज देना होता है।

Financial Information

स्टॉक मार्केट में IPO लाने वाली कंपनी का Merger जाँच किया जाता है। क्योंकि IPO Listing के बाद उसका शेयर का वैल्यू इसके Financial रिपोर्ट को देखते हुएँ मार्केट में Trade किये जाते है। जब कोई Listed कंपनी के Financial रिपोर्ट अच्छा होता है, तो उसका शेयर का मुल्य तेजी से ऊपर बढ़ता है।

  • कंपनी के Banking Arrangement और उसका Merchant Banker का रिपोर्ट कॉपी दिखाना होता है।
  • उस कंपनी के पुरानी Audit Financial Report और वर्तमान Financial Report जमा करना होता है।
  • उस कंपनी के सभी Account Department के Employee और Chartered Accountant का नाम के साथ उसका Designation का लिस्ट देना होता है।
  • कंपनी के सभी प्रकार की Investory Holding और उसका विवरण दिखाना होता है।
  • उस कंपनी के सभी Fixed, Variable Assets और Liability का लिस्ट को भी दिखाना होता है।

IPO Prospectus

शेयर मार्केट में लिस्ट होने वाली कंपनी अपना IPO Prospectus को SEBI और Exchange में एक दस्तावेज के रूप में जमा करती है। यह प्रस्पेक्टस कम से कम 100 पेज का होता है, जिसमें कंपनी का Sector, Clients , Project, Financial Information, Proposed Project, Issued Size Details को बहुत ही संक्षिप्त में बताया गया होता है। Prospectus दो प्रकार का होता है पहला IPO Draft Red Herring Prospectus (DRHP) और दूसरा IPO Red Herring Prospectus (RHP Or IPO Final Prospectus)।

IPO Draft Red Herring Prospectus (DRHP)

यह दस्तावेज कंपनी के Lead Manager या CEO के देख रेख में बनाया जाता है। और यही SEBI को Approval के लिए भेजते है। इस दस्तावेज के अनुसार कंपनी के सभी बुनियादी विवरण जैसे Promoter Holding उनकी संख्या, कंपनी रिस्क और कंपनी सामर्थ्य को बताया जाता है। और इस दस्तावेज को SEBI कुछ महीने लेती है Approval देने के लिए।

IPO Red Herring Prospectus (RHP)

यह एक DRHP (Draft Red Herring Prospectus) का ऊपरी हिस्सा होता है। जिसमें कंपनी का Additional IPO जानकारी को बताया जाता है, की IPO Date, Price और Latest Financial Data को बताया जाता है। इसको अगर IPO का Final Prospectus भी कहते है। किसी भी IPO में निवेश करने से पहले RHP को समझना जरूरी होता है। यह हमें कंपनी के वर्तमान स्थिति को बताता है।

IPO Bidding Category

जब कोई कंपनी अपना IPO को शेयर मार्केट में लिस्ट करती है तो उसमें आपको Apply करने के लिए तीन Category देखने को मिलता है।

  • Retail Individual Investors (RII)
  • Non-Institutional Investors (NII)
  • Qualified Institutional Investor(QIB)

जब कोई कंपनी के Subsidery कंपनी का IPO आता है तो उसमें दो और Category सामिल किया जाता है

  • Employee Category
  • Shareholders Category

Retail Individual Investor :- इस Category में निवेशक को किसी भी IPO में ज्यादा से ज्यादा 2 लाख निवेश कर सकता है, क्योंकि Retail Investor का Subscribtion Bidding भी कम होता है।

Non-Institutional Investors(NII) :- इसमें Category में वे लोग Apply करते है जो लोग अपना Financial Form या Mutual Fund चलाते है। इनको दो Bids में बाटाँ जाता है पहले वे NII जो कम से कम 10 लाख या उससे ज्यादा भी एक IPO में निवेश करते है और दूसरे वे NII जिनका Bids ज्यादा से ज्यादा 10 लाख ही होता है।

Qualified Instituation Investor (QIB) :- इस तरह के निवेशक का Investment सबसे ज्यादा होता है, यह बाहर देशों के Bank, Financial Planner, Corporate Bonds Business वाले अपना पैसा IPO में निवेश करते है।

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