कॉरपोरेट बॉन्ड का सम्पूर्ण ज्ञान (Complete Knowledge of Corporate Bond)

यह आप अपने पैसे को किसी कॉरपोरेट कंपनी या सरकारी (Goverment) प्रोजेक्ट में अपने पैसे को एक फिक्स इंटेरेस्ट पर निवेश कर सकते है और उसके बदले कंपनी आपको मासिक, तिमाही और अर्द्धवार्षिक इंटेरेस्ट देती है।

कॉरपोरेट  बॉन्ड क्या होता है (What is Corporate Bond)?

यह एक अच्छा विकल्प हो सकता है, जिससे आप अपने पैसे को इन्वेस्ट करके बैंक के Fixed Deposit से अच्छा रिटर्न ले सकते है। कॉरपोरेट बॉन्ड को गैर-सरकारी या सरकारी दोनों प्रकार की कंपनी मुद्दा (Issue) करती है। इसमें कंपनी आपसे एक निश्चित राशि लेती है और उस राशि पर इंटेरेस्ट देती है, एक सीमित आवधी के लिए।

यह Corporate Bond आभासी (Virtual) होते है, किसी भी बॉन्ड को लेने से पहले सभी निर्देश (Instructions) को ध्यान से पढ़ना चाहिए। और इसमें यह सुनिचीत करना चाहिए ,की आपका मूलधन बॉन्ड की अवधी खत्म होने के बाद वापस मिल जायें। क्योंकि कुछ एसे भी कॉर्पोरेट बॉन्ड (Corporate Bond) होते है जिसमें मूलधन वापस देने का विकल्प नहीं होता है।   

कॉरपोरेट बॉन्ड में निवेश कैसे शुरू करे (How to Start Investing in Corporate Bond)

आप अपने पैसे को स्टॉक मार्केट या कॉरपोरेट बॉन्ड (Corporate Bond) में इन्वेस्ट करने के लिए, पहले आपको एक डिमेट अकाउंट होना चाहिए, जिसमें आपके स्टॉक या बॉन्ड इकट्ठा होता है। कॉरपोरेट बॉन्ड एक सुरक्षित निवेश हो सकता है, अगर इसमे कुछ सावधानी रख कर निवेश करे।

इसमें आपका निवेश किया गया मूलधन सुरक्षित होता है पर जब आप एक सही बॉन्ड में निवेश करते है, कॉरपोरेट बॉन्ड (Corporate Bond) में निम्नलिखित प्रकार से निवेश कर सकते है।

1.आप डेब्ट इंस्ट्रूमेंट के जारिए एक प्राइमरी इश्यू में इन्वेस्ट कर सकते है। 
2. आप बॉन्ड को डायरेक्ट नहीं लेके, किसी और माध्यमिक मार्केट से भी खरीद सकते है। 
3. आप अपने पैसे को किसी डेब्ट फंड के जरिए इन्वेस्ट करते है जो मुख्य रूप से कॉरपोरेट बॉन्ड को केंद्रित (Focused) करता है। 

कॉरपोरेट बाँन्ड कितने प्रकार के होते है (Type of Corporate Bond)

कॉरपोरेट बॉन्ड को उसके समय अंतराल और गुणवक्ता के आधार पर विभाजित किया जाता है। जिससे आपको अपने समय और व्याज दर के आधार पर पसंद करनी की अनुमति होती है। कॉरपोरेट बॉन्ड में आपको एक निश्चित दर के आधार पर व्याज मिलता है, जो इस प्रकार के Bond मे निवेश के लाभ को बताता है।

A. समय अंतराल के आधार पर (Muturity Periods)

इस प्रकार के बॉन्ड में आपको एक निश्चित समय मिलता है और उस समय तक आपको व्याज दिया जाता है। जब उस बॉन्ड का समय अंतराल पूरा होता है तो उस बॉन्ड को रिडीम किया जाता है।

  • शॉर्ट टर्म बॉन्ड : इन बॉन्ड का समय 1 वर्ष होता है, जिससे आपका Muturity जल्दी होता है।
  • मीडियम टर्म बॉन्ड : यह बॉन्ड आपको 3 से 5 वर्षो के लिए किये जाते है, उसके बाद ही आपका Muturity होता है।
  • लॉंग टर्म बॉन्ड : यह बॉन्ड आपको 5 से ज्यादा वर्षो के लिए किये जाते है। सभी दस्तावेज को ध्यान से पढ़ने और समझने कए बाद ही निवेश करना चाहिए।
  • शाश्वत बॉन्ड (Perpetual Bond) : यह भी एक प्रकार का बॉन्ड है जिसमें कोई सिक्युरिटी नहीं है। यह आपको समय अंतराल (Maturity Period) के साथ नहीं मिलती है, इसमें कोई मट्युरिटी का समय नहीं होता है। यह जारी किये जाने वाले से ही वापस खरीद (Buyback) लिया जाता है।
B. इंटेरेस्ट रेट के आधार पर बाटाँ गया है (Divided on the basis of Interest Rate)
  • Zero Coupon Bond : यह बॉन्ड में निवेश किये गये, पैसे पर कोई निश्चित रिटर्न नहीं मिलता है। क्योंकि सरकारी और प्राइवेट कंपनी बॉन्ड Issue करते समय आपको एक अच्छा एकमुश्त छूट (Discount) दे देती है। और Muturity के समय आपको मूलधन मिल जाता है। इस बॉन्ड को Discounted बॉन्ड भी कहते है। इसका मतलब उस बॉन्ड का बाजार के मुल्य से कम में मिलता है, डिस्काउंट पर तय किया गया मुल्य उसके मूलधन से कम होता है।
  • इसे कुछ इस प्रकार भी दिखाया जाता है। Price= M/(1+r)^n
  • M= Date of Maturity, r =interest rate, n =year of maturity
  • Fixed Rate Bond : जब इस बॉन्ड को Buy किया जाता है तो उस समय यह सुनिश्चित करना होता है की बॉन्ड दर फिक्स्ट दर है, क्यों की आपको उस निश्चित अंतराल तक उसी दर पर व्याज मिलता रहेगा।
  • Floating Rate Bond: इस बॉन्ड में अगर आप निवेश करते है, तो आपको हर महीने अस्थाई दर से व्याज मिलेगा। क्योंकि इसमें कोई निश्चित व्याज दर निर्धारित नहीं होता है, यह मार्केट के ऊपर निर्भर करता है।

कॉरपोरेट बॉन्ड के जारिएँ कंपनियाँ पैसा क्यों इकट्ठा करती है?

कॉरपोरेट बॉन्ड को एक कंपनी उचित धन इकट्ठा करने और अपने व्याज भुगतान को कम करने के लिए जारी करती है। यदि आप सोच रहे है की व्याज दर तो यहाँ भी देना होता है। पर यह व्याज बैंक के द्वोरा लिए गये Loan Interest से कुछ कम होता है। यहाँ बॉन्ड जारी करने वाली कंपनी अपको Fixed Deposite से ज्यादा व्याज देती है पर अगर वही कंपनी किसी बैंक से पैसा ऋण लेता तो उसे ऋण दर (Loan Interest) ज्यादा देना होता है। यहाँ कंपनी पब्लिक से पैसे इकट्ठा कर के अच्छा ऋण दर पर छूट प्राप्त करती है।

जैसे एक उदारण से आपको बताये, जहाँ मार्केट में 5% की दर से Fixed Deposite पर व्याज मिलता है और अगर कंपनी बैंक से लोन लेती तो उसे 11-12% का इंटेरेस्ट देना होगा। तो कंपनी एक कॉरपोरेट बॉन्ड जारी करती है जिसका वार्षिक व्याज दर 8-10% रखती है। जिससे पब्लिक को भी प्रॉफ़िट होता है (क्योंकि पहले ही बताया गया है की Fixed Deposite में व्याज ज्यादा नहीं मिलता है) और वह कंपनी भी अपना कुछ इंटेरेस्ट रेट पर भी डिस्काउंट प्राप्त कर लेती है। इसी कारण से कंपनी Corporate Bond को जारी करती है। और भी बहुत से कारणों से कंपनी बॉन्ड को जारी करती है।

सरकार भी Corporate Bond को जारी करती है जो इसके मुकाबले ज्यादा सुरक्षित होता है। Treasury Bill के मध्यम से लघु निवेश कर सकते है। यह भी बॉन्ड की तरह होता है पर इसका Maturity जल्द ही होता है जैसे की 90, 180 और 365 दिनों के लिए किया जाता है। अगर आपको किसी सुरक्षित तरीके से बॉन्ड में निवेश करना है तो RBI Retail Direct App के मध्यम से शुरू कर सकते है।

इसके साथ-साथ अगर आप शेयर बाजार में रुचि रखते है तो शेयर मार्केट का गणित इस Artical को जरूर पढ़ें

कॉरपोरेट डेट या कॉरपोरेट इक्विटी आपको किसे चुनना चाहिए ?

यहाँ अब आपको समझना होगा, की कॉरपोरेट बॉन्ड को चुनने कैसे, या कौन सा बॉन्ड आपके लिए उपयोगी है। इसमें दो प्रकार के कॉरपोरेट बॉन्ड होते है, पहला कॉरपोरेट इक्विटी और दूसरा कॉरपोरेट डेट होता है। अब यहाँ हम इन दोनों को अच्छे से समझते है।

समीक्षा पथ कॉरपोरेट इक्विटी कॉरपोरेट डेट
कंपनी इन्वेस्टर का पद कंपनी में इन्वेस्टर का हिस्सा ज्यादा होना चाहिए कंपनी में इन्वेस्टर एक लेनदार होता है
Nature of Income Receivedडिविडेंड़ के द्वारा व्याज के द्वारा (निर्भर करता है मासिक, तिमाही और अर्द्धवार्षिक )
कंपनी के प्रॉफ़िट के ऊपर कंपनी की भूमिका पर निर्भर करता है और वही दूसरी ओर लाभांश दर में वृद्धी इसमे व्याज दर समान रहता है, इसे आप अपने बॉन्ड दस्तावेज में देख सकते है
अगर कोई Financial Crisis होता हैकंपनी उस समय डिविडेंट देना बन्द कर सकती है इसमें जो बॉन्ड के दस्तावेज में लिखा होता है उतना व्याज कंपनी को देना होता है कंपनी के बॉन्ड मानदंड (Criteria) के अनुसार
अगर कंपनी Bankcrupte होती हैकंपनी को कुछ धन राशि को देना होता हैइसमें कंपनी बॉन्ड के दस्तावेज के अनुसार बंध्या है व्याज देने के लिए,

बॉन्ड यील्ड को समझना (Know Bond Yield)

किसी भी कॉरपोरेट बॉन्ड को लेने के लिए, आपको उस बॉन्ड पर अंकित राशि का भुगतान करना होता है, और उस राशि पर एक कूपन दर होता है जिससे आपको वार्षिक व्याज मिलता है।

यहाँ हम बॉन्ड यील्ड की बात करते है दरअसल बॉन्ड यील्ड, बॉन्ड मुल्य के व्युत्क्रमानुपाती (Bond yield is Inversely Proportional to Bond Price) होता है। इसका मतलब अगर आपका बॉन्ड यील्ड ज्यादा होगा, तो बॉन्ड मुल्य कम देना होता है। और बॉन्ड यील्ड काम हुआ, तो बॉन्ड मुल्य ज्यादा होगा। अब यहाँ एक प्रश्न उठता है की बॉन्ड यील्ड ज्यादा होना चाहिए या फिर कम ?

इसका उतर आप खुद दे सकते है क्योंकि अगर आपको ज्यादा रिस्क लेना चाहते है तो आप उच्य बॉन्ड यील्ड वाला कॉरपोरेट बॉन्ड (Corporate Bond) ले सकते है और अगर आपको एक सामान्य लाभ वाला निवेश करना चाहते है तो कम यील्ड वाला कॉरपोरेट बॉन्ड चुनेगे।

बॉन्ड यील्ड के प्रकार (Type of Bond Yield)

बॉन्ड यील्ड को हमने देखा, यहाँ उनके प्रकार को परिभाषित करते है, बॉन्ड यील्ड निम्न रूप से चार प्रकार के होते है। जिनका नीचे सम्पूर्ण रूप से बताया गया है।

  1. परिपक्वता पर प्रतिफल (Yield to Maturity): यह बॉन्ड यील्ड का प्रकार हमें यह बताता है कि इसमें आपके पैसा को कितना सुरक्षित रखते है। यदि आप कोई बॉन्ड द्वितीय (Secondly) मार्केट से खरीद रहे है, तो आपका अंकित मूल्य मार्केट के आधार पर कम या ज्यादा हो सकता है। पर अंकित मुल्य पर जो व्याज मिल रहा है वह वार्षिक रिटर्न समान रहेगा। अगर आप जिसी बॉन्ड में इन्वेस्ट कर रहे है तो परिपक्वता पर प्रतिफल (Yield to Maturity) कम या ज्यादा हो सकता है।
  2. वर्तमान प्रतिफल (Running Yield) : यह निवेशक के द्वोरा निवेश किये गये मूलधन के ऊपर मिले वार्षिक लाभ को वर्तमान बाजार के मुल्य से विभाजित करने के बाद जो मुल्य प्राप्त होता है उसे ही वर्तमान प्रतिफल (Running Yield) कहते है।
  3. काल पर प्रतिफल (Yield to call): इस प्रकार को एक फार्मूला के द्वोरा देखते है जिससे आपको एक व्यावहारिक ज्ञान मिलेगा। P= (C/2) X {(1-(1+ YTC/2)^-2t/(YTC/2)}+(CP/(1+YTC/2)^2t) P = वर्तमान बाजार मुल्य (Current Market Price), C = वार्षिक कूपन भुगतान (Annual Coupon Payment), CP = याचिका मुल्य (Call Price) t= कॉल के दिन तक शेष वर्षों की संख्या (Number of year Remaining Until the call date)
  4. लाभ पर प्रतिफल (Yield to worth): इस प्रकार के बॉन्ड यील्ड से उन लोगों को प्रॉफ़िट होता है जो लोग अपने व्यापार को बढ़ाने के लिए बॉन्ड जारी करते है। यदि एक कंपनी दो बॉन्ड एक समान वैल्यू वाली लाती है और एक बॉन्ड में इन्वेस्ट करने से लाभ पर प्रतिफल होगा और दूसरे में उतना नहीं होता है, जिससे दूसरा वाला कंपनी के बॉन्ड नकरात्मक रूप से कम हो जायेगी।

किसी प्रकार का निवेश शुरू करने से पहले यह 6 चीजें अवश्य करें जिससे आपको सही तथ्यों का पता चलेगा।

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